कैसे चुपके से एक मकान घर बन जाता है,
क्यूँ इस घर का दरवाजा हमेशा खुला रहता है,
क्यूँ इस घर में रोटियाँ गिन के नहीं बनती,
क्यूँ होली खेलने सारा मोहल्ला इस आँगन में आता है,
क्यूँ दीवली का पहला पठाका इसी घर में जलाया जाता है,
क्यूँ कृकैट में हारते हारते
क्यूँ की हर घर चुपके से यह कहता है...
की अन्दर इस में कौन रहता है.
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